राजकोषीय घाटे पर सरकार को मिला RBI का साथ, गवर्नर ने कही ये बात

वैसे तो आम बजट में सरकार ने चालू वित्त वर्ष के लिए राजकोषीय घाटे के अनुमान को बढ़ा दिया है. लेकिन आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास का कहना है कि सरकार अगले वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा कम कर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 3.5 फीसदी पर लाने में कामयाब होगी और इसको लेकर कोई संदेह नहीं है.


क्‍या कहा आरबीआई गवर्नर ने?


शक्‍तिकांत दास ने कहा कि सरकार घाटे को लेकर राजकोषीय जवाबदेही और बजट प्रबंधन (एफआरबीएम) समिति द्वारा तय सीमा के भीतर है. 


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उन्‍होंने कहा, ‘‘सरकार एफआरबीएम समिति की सिफारिशों के दायरे में है. इसीलिए राजकोषीय घाटा लक्ष्य से केवल 0.5 फीसदी ही अधिक हुआ. सरकार इस पर कायम है और अगले साल राजकोषीय घाटे का बड़ा हिस्सा लघु बचत से आएगा. इसमें संदेह का कोई कारण नहीं है.’’ दरअसल, एन के सिंह की अध्यक्षता वाली एफआरबीएम समिति ने 2020-21 तक राजकोषीय घाटे को कम कर 2.8 फीसदी, 2022-23 तक 2.5 फीसदी पर लाने की सिफारिश की है. समिति ने छूट उपबंध का भी सुझाव दिया था.


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इसके तहत राष्ट्रीय सुरक्षा, युद्ध की स्थिति, राष्ट्रीय आपदा और कृषि के गंभीर रूप से प्रभावित होने के कारण उत्पादन और आय पर असर पड़ने की स्थिति में इस प्रावधान का उपयोग किया जा सकता है.  इसके तहत राजकोषीय घाटा लक्ष्य से 0.5 फीसदी तक अधिक रह सकता है.



 


लगातार तीसरे साल लक्ष्‍य से दूर है सरकार


यहां बता दें कि मोदी सरकार लगातार तीसरे साल राजकोषीय घाटे का लक्ष्य हासिल नहीं कर सकी. चालू वित्त वर्ष में इसके बढ़कर सकल घरेलू उत्पाद का 3.8 फीसदी रहने का अनुमान है जबकि पूर्व में इसके 3.3 फीसदी रहने की संभावना जताई गई थी. अगले वित्त वर्ष के लिए राजकोषीय घाटा 3.5 फीसदी रहने का अनुमान है. राजकोषीय घाटा सरकार के आय और व्यय के अंतर को बताता है. इसका मतलब